लॉकडाउन ने हर दिन मजदूरी करके परिवार का पेट भरने वालों के सामने बड़ा संकट खड़ा कर दिया। कई राज्यों से काम की तलाश में छत्तीसगढ़ पहुंचे मजदूरों की स्थिति बेहद बुरी होती चली गई। मगर इनमें से कुछ ऐसे भी हैं, जिनकी जिंदगी को लॉकडाउन ने पूरी तरह से बदल दिया। राजधानी के लाभांडी इलाके में निर्माणाधीन प्रधानमंत्री आवास योजना के मकानों को आश्रम स्थल बनाया गया है। यहां महाराष्ट्र, झारखंड, पंजाब, हरियाणा जैसे 13 राज्यों से आए श्रमिक रह रहे हैं। शहर के ही कई इलाकों में घूमने वाले बेसहारा लोगों को भी यहां रखा गया है। 200 से ज्यादा की संख्या में यहां लोग 30 मार्च से रुके हुए हैं। यहां रह रहे लोगों की सुबह लॉकडाउन से पहले काम की तलाश और भोजन जुटाने के प्रयास के साथ होती थी। मगर इस आश्रय स्थल में सुबह योग के साथ होती है। पौष्टिक नाश्ता मिलता है, गीत-संगीत के कार्यक्रम होते हैं और रात में नशा मुक्ति, स्वास्थ्य जागरुकता की चर्चाएं होती हैं।
यह है यहां रह रहे लोगों की दिनचर्या

आश्रय स्थल का संचालन सरकार की निगरानी में समर्थ चैरिटेबल ट्रस्ट और वी द पीपल संस्था कर रही है। सुबह एक घंटे योग करने के बाद यहां लोगों को नाश्ता दिया जाता है। नाश्ते में अमूमन अंडे, ब्रेड, दूध वगैरह होता है। दोपहर के वक्त भोजन, शाम की चाय और कुछ स्वलपाहार भी मिलता है। करीब दो घंटे वॉलीबॉल जैसे खेल भी होते हैं, फिर स्वास्थ्य, सफाई या अन्य मुद्दों पर यहां एक्सपर्ट काउंसलिंग होती है। शाम के वक्त मनोरंज के लिए कोई गाने गाता है तो कोई कहानियां या चुटकुले सुनाता है।
डॉक्टर रहते हैं मौजूद, बच्चों के लिए सीख केंद्र

यहां स्वास्थ्य केंद्र भी बनाया गया है। डॉ. शिवानी नायक ने बताया कि यहां 5 चिकित्सकों की ड्यूटी है। हम लगातार सभी को साफ-सफाई और सेहत के बारे में जागरुक कर रहे हैं। समय-समय पर सभी लोगों की स्वास्थ्य जांच करते हैं और शरीर का तापमान वगैरह की जानकारी लेते हैं। यहां आए लोगों के छोटे बच्चे भी साथ हैं। उनके लिए एक सीख केंद्र भी बनाया गया है। इसमें बच्चों को खेल-खेल में पढ़ना, लिखना और पेंटिंग करना सिखाया जा रहा है।
सोशल डिस्टेंसिंग का रख रहे ख्याल, दान में मिली जरुरत की चीजें
यहां एक कमरे में 5 लोगों को रखा गया है, सभी को आपस में दूरी बनाकर रखने को कहा गया है। खाते वक्त भी लोगों को दूर-दूर बिठाया जा रहा है। मंजीत कौर बल ने बताया कि यहां साबुन, हेयर ऑयल, शैम्पू, टूथब्रश जैसी हर रोज इस्तेमाल होने वाली चीजें शासन व कुछ संस्थाओं की तरफ से डोनेशन में मिली हैं। एक भंडार कक्ष भी बनाया गया है। यहां रहने वाले किसी भी व्यक्ति को जरुरत पड़ने पर छोटी-मोटी चीजें यहां नि:शुल्क दी जा रही हैं। दान में आई चीजों का डाटा मेंटेंन किया जाता है। वर्तमान में यहां दूध, फल, मटकों की जरुरत है।
इस तरह यहां लाए गए लोग
जिला पंचायत सीईओ डॉ. गौरव कुमार सिंह की टीम ने तीन बसों को लेकर ऐसे लोगों की तलाश की जो फंसे हुए हैं, या जिनका कोई सहारा न हो। रायपुर स्मार्ट सिटी कार्यालय में स्थापित फूड कंट्रोल सेल से भी इस बारे में जानकारी मिली। महिलाओं, उनके दुधमुहे बच्चों, वृद्ध, दिव्यांग समेत अन्य लोगों को लेकर ये बसें लाभांडी के इस आश्रय स्थल में पहुंचीं। झारखंड के बलदेव राणा ने बताया कि वे और उनके साथी महाराष्ट्र से लौट रहे थे। मगर कोई साधन न मिल पाने की वजह से घर नहीं जा सके और फंस गए ऐसे में आश्रय स्थल का सहारा महत्वपूर्ण साबित हुआ।
आप भी कर सकते हैं मदद
आश्रय स्थल में रह रही महिलाओं, बच्चों और शहर के अन्य बेसहारा लोगों की आप घर बैठे-बैठे मदद कर सकते हैं। जिला प्रशासन ने इस वर्ग की मदद के लिए डोनेशन ऑन व्हील्स अभियान शुरू किया है। आप लोगों के लिए अनाज, फल, तेल, मसाले, हर दिन इस्तेमाल होने वाली अन्य चीजें डोनेट कर सकते हैं। जिला प्रशासन के वाहन आपके घर या व्यवसायिक परिसर तक आकर राहत सामग्री ले लेंगे। इसके लिए जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. गौरव कुमार सिंह को- 9669577888, राहुल सिंह को 94252-27484, विवेकानंद दुबे को 94255-14831, जोसेफ 98261-23957, अनुपमा सिंह को 99261-30573,संध्या साहू को 99079-34368,ओमप्रकाश मेहरा को 83058-35358, जगत मिश्रा को 98271-78921 पर संपर्क कर जानकारी ली जा सकती है।