मध्य अफ्रीकी देश कैमरून के युवक इस्माइल इबोन ने समुद्र में बहकर उनके तट पर आई प्लास्टिक की बोतलें जमाकर बॉटल-बोट बना दी। इस नौका में तीन लोग बैठकर मछली पकड़ने जा सकते हैं। यह युवक "बॉटल-बोट' बनाकर मछुआरों को मुफ्त दे रहा है। शहर से प्लास्टिक खत्म करने के लिए उसने अपना सारा पैसा एक गैर लाभकारी संस्था 'मदिबा एंड नेचर' में दान करके खुद कैमरून के शहरों को प्लास्टिक मुक्त करने में जुट गया है।
इबोन ने बताया कि बोतलों से "बॉटल-बोट' बनाकर हम किब्री क्षेत्र में मछली पकड़ने वालों को मुफ्त दे देते हैं। इस बोट में लगभग एक हजार बोतलें लगती हैं। इसका वजन 270 किलो तक होता है। यह अन्य सामान के साथ तीन लोगों को ले जा सकती है। एक नाव बनाने में एक सप्ताह का समय लगता है। वे बोले कि दुनियाभर में हर मिनट 1 मिलियन प्लास्टिक की बोतलें बेची जाती हैं। लोग जागरूक होकर भी यह नहीं समझते कि पर्यावरण को इसकी क्या कीमत चुकानी पड़ती है? लोग समुद्र को कचरा घर बना रहे हैं।
नाव का पहले समुद्री तूफान में परीक्षण किया
इबोन ने बताया कि 2011 में वह जब छात्र था, तब तेज आंधी-तूफान आया था। उसमें सैकड़ों बोतलें समुद्री तट पर न जाने कहां से आ गई थीं। प्रशासन ने जब उन्हें हटाने में कोई रुचि नहीं दिखाई तो उसने इन बोतलों को जमा किया। तभी उसके मन में इनसे "इको बोट्स' बनाने का विचार आया। उसने शहर के चारों ओर से बोतलें जमा की और नाव बना डाली। इस नाव का समुद्री तूफान में परीक्षण करने के बाद उसने ऐसी नावें बनाने का काम जारी रखा। ये बोट्स वह गरीब मछुआरों को मुफ्त बनाकर देता है। पर्यावरण बचाने के अलावा वह मछुआरों और समुद्री जहाजों के साथ स्थानीय लोगों को भी ऐसी नाव प्रदान करता है।
एक एनजीओ भी शुरू किया
प्लास्टिक प्रदूषण हटाने के लिए इबोन ने अपनी जमा पूंजी एक गैर-लाभकारी संस्था 'मदिबा एंड नेचर' को लांच करने में लगा दी। यह संस्था इस क्षेत्र के चारों ओर से प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करती है। फिर मछुआरों के लिए 'ईको-टूरिज्म नाव' में बदल देती है। इस काम में इबोन को सफलता मिलने लगी और उसके काम से प्रेरित होकर सरकार के 'कैमरूनियन संगठन' ने देश का पहला प्लास्टिक री-साइकिलिंग प्लांट 'इकोबिन' स्थापित किया। अब समुद्र, नदी, झील से प्लास्टिक कचरा जमा कर उन्हें प्रदूषण से बचाया जा रहा है।